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पति ने जिंदा जला दिया और उसके सामने शराब पी कर जलते हुए का मुजरा देखे।

बेटियां जन्म लेती है तो प्यारी दिखती हैं। कईयों का दिल बाग बाग हो जाता है। और कई अपने किस्मत को रोते हैं। बेटियों के ब्लॉग में हम हमेशा अपने प्यार का इजहार करते आए हैं। पर आज मुझे सचमुच डर लग रहा है अपनी बेटियों के भविष्य को लेकर।
डर है तो समाज से, ना जाने कब वह बलात्कार की शिकार हो जाए या ना जाने कब उसे जला दिया जाए। छह महिने की लड़की के साथ भी बलात्कार हुआ है औऱ ना जाने कितने बुढी हो जाने तक उम्मीद बनी होती है। हमारा सभ्य समाज दानव बन चुका है।
मेरी एक परिचित को उसके पति ने जिंदा जला दिया और उसके सामने शराब पी कर जलते हुए का मुजरा देखे। सोच ही कितनी दर्दनाक है मन कांप उठता है और साथ ही साथ रो भी उठता है। सोचती हूं अगर मेरे साथ होता तो क्या होता मेरी बेटी के साथ होता तो क्या होता। वह भी किसी की बेटी थी, वह भी किसी की मां थी। पांच दिन से पटना में हॉस्पिटल में पड़ी है औऱ अभी भी नंगा नाच हो रहा है। पति खुलेआम हमदर्दी बटोर रहा है और अपने को बचाय हुए है पर आज सभी ज्वाला फट चुकी और उसने अपना बयान लिखवा दिया है। उस हॉस्पिटल में कुलर तक नहीं है। पता नहीं किस जन्म का भोग, भोग रही वह लड़की अभी तक जिंदा है और बयान अपने पति के खिलाफ नहीं देने का जैसे उसने प्रण कर लिया था। अभी भी भय ग्रस्त है या फिर किसी ने यूं डरा रखा था।
मां बाप कुछ नहीं कर पा रहे हैं। समझदारी की बात है कि नासमझी की मैं नहीं सोच पा रही हूं। शायद उस उम्र तक जाने के बाद मैं भी उनकी तरह सोचूं। उम्र के साथ ही समाज को समझने का नजरिया बदलता रहता है।

लड़कियां ही क्यों आग में झुलसाई जाती है लड़के क्यों नहीं। मेरी इच्छा होती है कि मैं भी उसके पति को यूं ही जला दूं सबके सामने औऱ देखुं कि कैसी तकलीफ होती है। यह तो मेरी परिचित है तो मैं परेशान हूं पर ना जाने कितनी लडकियां यूं ही जला दी गई है औऱ ना जाने औऱ कितनी जला दी जाएगी।
लड़कियां तभी जलाई जाती है जब वह पुरुष को चुनौती देती है। पुरुष का अहं ही सारे झगडों का जड़ होता है।

11 comments:

शरद कोकास said...

इस हादसे (?) की कल्पना कर ही रोगटे खडे हो जाते हैं,,पुरुष कब इस बात को समझेगा कि उसने एक स्त्री की कोख से जन्म लिया है..

रंजना said...

kya kaha jaay.........

वाणी गीत said...

अमानवीय !!

Science Bloggers Association said...

इसकी जितनी भर्त्‍सना की जाए, कम है।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

हृर्दयविदारक घटना

Anonymous said...

मैं केवल गुस्सा व्यक्त कर सकता हूं.

अजय कुमार झा said...

मैं खुद अदालत में हूँ और रोज ही ऐसे कई घटनाओं से रूबरू होता हूँ..आज समाज पतन के जिस निम्नतम स्तर पर है ...उसमें मुझे अब बलात्कार की घटनाएं आश्चर्य सी नहीं लगती हाँ अबोध शिशुओं से ऐसी घटनाएं एक तीव्र रोष पैदा करती हैं...मुझे लगता है इसके लिए बहुत हद तक हमारा कानून जिम्मेदार है..आज जरूरत है की दंड के सहारे कानून का ऐसा भय पैदा किया जाए मुजरिमों में की वो एक सबक बन जाए समाज के लिए..मगर अफ़सोस ..की अभी और भविष्य में भी इसकी कोई उम्मीद मुझे नहीं दिखती...यदि उन महिला के घर में कोई पुरुष सदस्य है तो कहिये की उसके पति की हड्डियाँ तुड़वा दे..इस तरह की वो अपाहिज हो जाए..मेरे विचार से यही उत्तम उपाय है...

Anonymous said...

अमानवीय कृत्य ....

...

Unknown said...

बेटियो के ब्लोग मे़ इस मुद्दे को उठाया अच्छी बात है लेकिन ये समाधान नही है. ज्यादा अच्छा होता कि आपने घटना के बाद मीडिया को बुलाकर इस सबका खुलासा किया होता. इससे दो बाते होती़. एक तो जो अपराधी है उसे जरूर सजा होती और दूसरे अगर ये एक हादसा था तो अजय कुमार झा जैसे सम्वेदनशील युवा को पति के हाथ पैर तोडने के लिये रिश्तेदार नही ढूढने पदते.

मै़ने जीवन मे़ सिक्के के दोनो़ पहलू देखे है़ इसलिये सुसज्जित कम्रे मे़ बैठकर आलोचना कर्ने वालो़ से मुझे डर लगता है.

aryavart said...
This comment has been removed by the author.
aryavart said...
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