इस बार पहली बार तोषी अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करेगी। लेकिन एक आम मतदाता की तरह उसकी भी भ्रमित स्थिति है की किसे वोट दे? कोई भी नेता बाद में न तो जनता के प्रति जवाबदार होता है न देश के प्रति। वह चाहे किसी भी पार्टी का हो। कल हमारी बात इसी पर हो रही थी। एक तो वह पार्टियों के प्रचार के तरीके से बेहद खफा थी। उसका कहना था की हर पार्टी दूसरी पार्टी की खामियों को गिना कर अपने लिए वोट मांग रही है। वह यह नही कह रही है की उसने क्या किया या वह क्या करेगी और इस करेगी में वह यथार्थ के कितने करीब होगी। बस, किसने क्या नही किया और क्या किया की खील बखिया उधेराने में लगी हुई है। तोषी युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रही है। और ज़ाहिर है की युवा वर्ग बेहद आक्रोश में है।, उसका विशवास देश के इन नुमान्दों से उठ चुका है। जो भी पार्टी सत्ता में आयेगी या आती है, उसका सारा ध्यान तो अपने अलायांसों को संभालने में लग जाता है। देश में नौकरी नहीं है। उस पर से मंदी की मार अलग से है। शिक्षा व् स्वास्थ्य ये दोनों महत्वपूर्ण सेक्टर अमीरों की थाती होती जा रही है,।
साम्प्रदायिकता के सवाल पर तो वह बेहद मुखर है। उसका कहना है की जिस तरह से साम्प्रदायवाद को एक अत्यन्त संकीर्ण नज़रिए से बाँध दिया गया है, वह हमें अपने पर से अपने विशवास को दुला देता है। हमें एक सम्प्रदाय खतरनाक नज़र आता है मगर दूसरा सम्प्रदाय किस तरह से कट्टर बन हुआ है, उसे देखा कर तो ख़ुद को इस सम्प्रदाय का मानने को जी नजीन करता। देश में हिन्दू कट्टरता जिस तरह से बढी है, और मुसलमान जिस तरह से पीडित हो रहे हैं, उससे कौन सच्चा हिन्दू अपने आप को हिन्दू होने के गौरव बोधग से भरेगा?
नेता अपनी दूकान चलाते हैं। वे जनता और आम आदमी के दुःख दर्द से मुखातिब नही होते। मुम्बई का आतंकवाद तो पूरे विश्व के फलक पर उभरा ही है, मगर जो रोजमर्रा की परेशानी है, उससे कैसे निजात मिले? मई शुरू होने को आई है, जून में यहाँ बारिश शुरू हो जाती है। मगर मुम्बई की सालाना साफ़-सफाई नदारद है। मेट्रो परियोजना के कारण सड़को का बुरा हाल है। अभी ही ट्रैफिक भगवान भरोसे है, बारिश में क्या होगा? २००५ के बाद से सभी मुम्बईकर हिले रहते हैं बारिश के मौसम में।,
चुनाव के इस मौसम में कौन क्या करे, वह सोच नहीं पा रही है। केवल वोट के लिए वोट या कुछ और भी। तोषी की यह परेशानी एक आम मतदाता की परेशानी है।
5 comments:
वाकई ज्यदार्टर मतदाता, जनता परेशान ही है ..इस सोच में
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
वोट की जगह, जादू की छड़ी चाहिए इस देश को.
bahut dukh ki baat hai ki is baar polling bahut hi kam ho rahi hai..so yuvaon ko to aage aana hi hoga...
सही लिखा है आपने तोषी का संकट और उलझन एक आम मतदाता को प्रतिनिधित्व करता है. लेकिन शायद आने वाले समय में यह उलझन इतनी नहीं रहे जितनी अब है.. आने वाली पीढी अधिक समझदार और जानकार होगी ... ऐसी उम्मीद है
एक आलेख यहां भी है
http://kankad.wordpress.com/2009/04/18/बेटियां/
देश में हिन्दू कट्टरता जिस तरह से बढी है, और मुसलमान जिस तरह से पीडित हो रहे हैं,
सही कह रही हैं आप तोशी सचमुच कंफ्यूज है....
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