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आज बेटियों का दिन है

सुबह की बेला में मैने सोचा क्यों ना आज उन सारी बेटियों को याद मैं करुँ जो मेरी है भी और नहीं भी. आज का दिन बेटियों का दिन के रुप में मनाया जाता है। क्यों, किसलिए मनाया जाता है के प्रश्नों के चक्कर में ना फंस कर बस दिन को मनाने का प्लानिंग कीजिए. वैसे भी आज सनडे है जो कि बच्चों का दिन होता है.
बेटियां शब्द से मुझे हरवक्त ऐसा ही महसूस होता है-कि नाजुक सी, सुन्दर सी, गोरी सी, प्यारी सी, मन से जुडी़ हुई, तन से भी जुड़ी हुई,पर...... थोड़ी पराई सी.
ये एक सच है. लोग कई दलील दे लें कि नहीं बेटियां पराई नहीं होती है बेटियां तो अपनी होती है. पर सच तो सच है.
वैसे आज के दिन ऐसी बातें नहीं करते, क्योंकि मन दुखित होता है.
आज मुझे अपनी बेटी को सरप्राइज देना है. सरप्राइज क्या होगा यह मैंने भी अभी तक तय नहीं किया है.
मेरी एक बेटी है - सिमरन. मैं उसे पिछले दो महिने से ट्युशन पढ़ा रही हूं. चौथे क्लास में है और पढ़ाई में बिल्कुल फिसड़ी. देखने में नाजुक सी, बहुत सुन्दर, भोली, प्यारी, सारी बातें उसकी बहुत अच्छी बस पढ़ाई नहीं करना चाहती.
वो दो बहनें हैं और एक छोटा भाई है. मुझे उसके बारे में जानकर बड़ा आश्च्य तब हुआ जब उसने बताया कि वह अपने पापा से बिल्कुल भी बात नहीं करती. उसके पापा छोटे भाई को प्यार करते हैं और छोटी बहन सर चढ़ कर प्यार करवा लेती है. पर उसके हिस्से का प्यार कहीं नहीं है. मैं भी कई बार तंग हो जाती हुं उसके बचपने से तो उसे होम वर्क नहीं कर के लाने के जुर्म में घर वापस भैज देती हूं. पर जब वह कर के लौटती है तो मुंह सुझा हुआ होता है। मैं अंदर से दुखित हो जाती हुं. और पढ़ाई को कोसती हुं क्यों ये पढ़ाई जैसी चीज बनी जिससे बचपन खेलने की जगह किताबों में गुजरता है. पर अब उसके मैथ्स, इंग्लीश टीचर सारे खुश हैं क्योंकि उसने भी अब जवाब देना सीख लिया है। मुझे पोटती रहती हैं कि आंटी आपके कारण ही आज मेरी टीचर मुझ से खुश है. मम्मी से मेरी तारीफ कर रही थी।
मम्मी से उसे प्यार नहीं है क्योंकि वह उसे मारती है, पापा अच्छे हैं उसने कहा था- मैं उनसे ही ज्यादा प्यार करती हूं.
पर मैं उस दिन से यह समझ नहीं पा रहीं हूं कि वह पापा जो उससे बात भी नहीं करते वैसी बच्ची उनसे अभी तक के जीवन में सबसे ज्यादा प्यार कैसे कर पाती है.

2 comments:

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

betiyan beton sey jyada pyar ki haqdaar hain kyonki bete to hamesha saath reh saktey hain beti nahin.

एस. बी. सिंह said...

वे हमारे चारो ओर
बिखरी रहतीं हैं
सुगन्धि की तरह ,
सौंदर्य और मासूमियत के
एहसास की तरह ,
ईश्वर के होने की तरह।