अनंत तस्‍वीरें दृश्‍यावलियां ख़बर ब्‍लॉग्‍स

आज मेरी तोषी का जन्म दिन है। यकीन नहीं होता की वह इतनी बड़ी हो गई है। केवल बड़ी ही नहीं, बेहद समझदार भी। उतनी ही संवेदनशील, उतनी ही सबके प्रति फिक्रमंद। अभी उसने अपने अनुभव के वितान को बड़ा करना चाहा है। इसके लिए उसने मुम्बई की एक आर्ट गैलरी ज्वायन की है। उसके अनुभव में इजाफा हो रहा है। अब वह स्वतन्त्र रूप से दुनिया को देखनेसमझाने, पहचानने की कोशिश में है। मुझे पूरा यकीन है की वह अपनी ख़ास जगह बना लेगी और ज़ल्दी ही। उसके जन्म दिन पर उसके लिए एक तोहफा-

जिस दिन तुमको ना देखूं मैं

मन जोर कहीं से कसकता है,

तेरी मुस्काती सूरत से

मन बहुत-बहुत ही हरासता है।

तुम अपनी बातों के गुच्छे से

खुशबू खूब बिखेरती हो

हो गई हो अब तुम बहुत बड़ी

पर फ़िर भी लगता नन्ही हो,

जैसे बरखा की धारा में

बून्दीन कोई मेंही हो

मेरे जीवन की रचना प्रथम

मेरी साँसों का तुम आधार

तुमसे पाई खुशियाँ सब

तुम ही अब जीवन अब संसार

छूटा है बहुत कुछ पाने में

छूटेगा बहुत कुछ पाने में

तुम साथ रहोगी, बनोगी बल

अफसोस न होगा जाने में

उनकी प्रतिमा, मेरी परछाईं

तेरा तो जीवन आगे है

थाम लो सूरज-चन्दा, तारे

बस तेरे लिए सब जागे हैं।

कोशी और उसका कंज्यूमर कोर्ट

कोशी अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो रही है। घर में तो उसका अपना अधिकार - भाव चलता ही है, बाहर तो उसने कंज्यूमर कोर्ट के नाम से सभी को काफ़ी दारा-धमाका रखा है। कुछ बानगी देखिये-
१) कोशी अपने मोबाइल के लिए कनेक्शन लेने गई। जो स्कीम थी, दुकानदार ने उससे १०० रूपए अधिक मांगे। कोशी के मना कराने पर वह उसे कनेक्शन देने से इनकार कराने लगा। कोशी ने पहले उसे काफी समझाया की वह उससे अतिरिक्त पैसे की मांग कर रहा है, जो सही नही है। दुकानदार एक बच्ची को देख कर अकडा हुआ था। कोशी ने कहा की वह कंज्यूमर कोर्ट में उसकी शिकायत कराने जा रही है। और उसने फोन घुमा भी दिया। बस क्या था, दूकान का दूसरा आदमी बीच में आ गया और कहने लगा की वह, जो पैसे मांग रहा था, नया बन्दा है, और उसे कुछ भी नहीं मालूम। और इस तरह से कोशी अतिरिक्त पैसे देने से बच गई।
२) कोशी कहीं जा रही थी। रास्ते में उसे प्यास लगी। उसने पानी न खरीद कर एक ठंढा ले लिया। दुकानदार ने एम् आर पी से २ रुपये अधिक लिए बोतल ठंढा कराने के चार्ज के रूप में। कोशी ने कहा भी की यह ग़लत है और उसे एम आर पी से अधिक पैसे नहीं लेने चाहिए। दुकानदार के न मानने पर उसने फ़िर से कंज्यूमर कोर्ट में फोन किया उअर दुकानदार ने उसे २ रुपये चुपचाप वापस कर दिए।
३) हमारे घर के सामने एक दूकान है- किराने की। वहाँ भी कोशी की बहस शीत पेय पर ली जाने वाली अतिरिक्त राशि को लेकर हो गई। यहाँ भी कोशी ने वही किया। आज दूकानदार की यह हालत है की वह उससे अतिरिक्त पैसे लेता ही नहीं।
लेकिन अब कोशी को थोड़ी दिक्कत होने लगी है। उसने बताया की अब कंज्यूमर कोर्ट फोन पर किसी की शिकायत नहीं सुनता। शिकायत कराने के लिए शिकायतकर्ता को ख़ुद कंज्यूमर कोर्ट जाना पडेगा। यह बात व्यावहारिक नहीं है। कहां है किसके पास वक़्त की वह एक शिकायत के लिए कंज्यूमर कोर्ट तक जाए। वह या तो चुप रह जायेगा या अधिक पैसे देगा। खासकर शीत पेय या पानी लेने के लिए। कंज्यूमर कोर्ट ने अगर फोन से शिकायत लेना बंद कर दिया है तो उसे चाहिए की वह अपनी यह व्यवस्था तुंरत समाप्त कर दे, अन्यथा कंज्यूमर कोर्ट केवल नाम भर के लिए रह जायेगा। छोटे-छोटे मसाले हाल नहीं हो पायेंगे और छोटे-छोटे बच्चे इस कोर्ट की सफलता का आनंद नहीं ले पायेंगे और एक सजग नागरिक बनने से भी वंचित रह जाएनगे।