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कोशी और उसका कंज्यूमर कोर्ट

कोशी अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो रही है। घर में तो उसका अपना अधिकार - भाव चलता ही है, बाहर तो उसने कंज्यूमर कोर्ट के नाम से सभी को काफ़ी दारा-धमाका रखा है। कुछ बानगी देखिये-
१) कोशी अपने मोबाइल के लिए कनेक्शन लेने गई। जो स्कीम थी, दुकानदार ने उससे १०० रूपए अधिक मांगे। कोशी के मना कराने पर वह उसे कनेक्शन देने से इनकार कराने लगा। कोशी ने पहले उसे काफी समझाया की वह उससे अतिरिक्त पैसे की मांग कर रहा है, जो सही नही है। दुकानदार एक बच्ची को देख कर अकडा हुआ था। कोशी ने कहा की वह कंज्यूमर कोर्ट में उसकी शिकायत कराने जा रही है। और उसने फोन घुमा भी दिया। बस क्या था, दूकान का दूसरा आदमी बीच में आ गया और कहने लगा की वह, जो पैसे मांग रहा था, नया बन्दा है, और उसे कुछ भी नहीं मालूम। और इस तरह से कोशी अतिरिक्त पैसे देने से बच गई।
२) कोशी कहीं जा रही थी। रास्ते में उसे प्यास लगी। उसने पानी न खरीद कर एक ठंढा ले लिया। दुकानदार ने एम् आर पी से २ रुपये अधिक लिए बोतल ठंढा कराने के चार्ज के रूप में। कोशी ने कहा भी की यह ग़लत है और उसे एम आर पी से अधिक पैसे नहीं लेने चाहिए। दुकानदार के न मानने पर उसने फ़िर से कंज्यूमर कोर्ट में फोन किया उअर दुकानदार ने उसे २ रुपये चुपचाप वापस कर दिए।
३) हमारे घर के सामने एक दूकान है- किराने की। वहाँ भी कोशी की बहस शीत पेय पर ली जाने वाली अतिरिक्त राशि को लेकर हो गई। यहाँ भी कोशी ने वही किया। आज दूकानदार की यह हालत है की वह उससे अतिरिक्त पैसे लेता ही नहीं।
लेकिन अब कोशी को थोड़ी दिक्कत होने लगी है। उसने बताया की अब कंज्यूमर कोर्ट फोन पर किसी की शिकायत नहीं सुनता। शिकायत कराने के लिए शिकायतकर्ता को ख़ुद कंज्यूमर कोर्ट जाना पडेगा। यह बात व्यावहारिक नहीं है। कहां है किसके पास वक़्त की वह एक शिकायत के लिए कंज्यूमर कोर्ट तक जाए। वह या तो चुप रह जायेगा या अधिक पैसे देगा। खासकर शीत पेय या पानी लेने के लिए। कंज्यूमर कोर्ट ने अगर फोन से शिकायत लेना बंद कर दिया है तो उसे चाहिए की वह अपनी यह व्यवस्था तुंरत समाप्त कर दे, अन्यथा कंज्यूमर कोर्ट केवल नाम भर के लिए रह जायेगा। छोटे-छोटे मसाले हाल नहीं हो पायेंगे और छोटे-छोटे बच्चे इस कोर्ट की सफलता का आनंद नहीं ले पायेंगे और एक सजग नागरिक बनने से भी वंचित रह जाएनगे।

8 comments:

Anonymous said...

क्यों न हम भी कोशी जैसे ही बनें।

Anonymous said...

मुझे जानकारी नहीं है कि उपभोक्‍ता फोरम फोन पर भी शिकायत दर्ज कर कार्रवाई करता रहा है लेकिन यदि ऐसा है तो जारी रहना चाहिए।

आशीष कुमार 'अंशु' said...

अच्छा लिखा आपने ....

Udan Tashtari said...

कोशी बहुत जागरुक और सजग है..अच्छा लगा पढ़कर.

दिनेशराय द्विवेदी said...

कोशी की शिकायत वाजिब है। वास्तव में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि फोन करने मात्र से कंजूमर कोर्ट किसी निरीक्षक को स्थान पर भेज दे और शिकायत को सही पाने पर तुरंत कार्यवाही करे। यदि ऐसा होने लगे तो कोर्ट में मुकदमें भी कम हो जाएंगे और लोग कानून को मानने भी लगेंगे।

अनिल कान्त said...

कोशी की तरह सब को जागरूक होना होगा और कोर्ट को आसन तरीका मुहैया करना चाहिए


मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

रावेंद्रकुमार रवि said...

घर में वसंत आता है -
बेटी के जन्म लेने पर!

नितिन माथुर said...

यकीनन भारत भविष्य से आस रखता आया है। लेकिन मेरे ख्याल से हमें भविष्य में चीजों को सुधारने की आस रखने की जगह अभी औऱ यहीं चीजों को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।
जिससे हमारी कोशी जैसी बिटिया अल्ल टप्पूओं से दो या पांच रूपये कम कराने की कवायद की जगह कुछ अधिक सकारात्मक काम कर सके।
यहां भागने की नहीं जागने की जरूरत है। कम से कम कोशी की बातों से तो यहीं लगता है।