आज तोषी अपने ९ महीने की पाकिस्तान -पढाई की मियाद पूरी करके भारत लौट रही है। उसके स्वर में एक साथ देश लौटने की खुशी व उत्तेजना है तो दूसरे स्वर में वहां के लोगों से बिछड़ने के गम भी। लाहौर में उसे इतना प्यार, सम्मान, मिला, जितने कि हमने कल्पना तक न की थी। उसकी दीन सलीमा हाशमी ने मुझसे कहा यहा कि "आप अपनी बेटी को हमें वक्फ में दे दीजिये।'' ९ महीने के दरमियाँ उसके २ एकल और ३ ग्रुप शो हुए। उसके काम के लिए उसे वहाँ के पंजाब के गवर्नर द्वारा सम्मानित किया गया। अपने शो के दुरान अपने काम को लेकर वह प्रेस और मीडिया में छाई रही।
आज वह लौट रही है और अज ही मुझे एक ड्राइंग प्रतियोगिता में पुरस्कार मिला। चित्र बनाना मुझे आता नहीं, लेकिन उसेदेखके जो थोडा बहुत समझ पाई, उसमें धर दी कोशी ने। आज जब यह पुरस्कार ले रही थी, तो दोनों बहनें मेरे तसव्वर में थीं। आम तौर पर लोग कहते हैं कि माँ-बाप से बच्चों की पहचान बनाती है। लेकिन मुझे यहाँ यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि यहाँ , आज मेरी पहचान मेरी तोषी, कोशी के कारण बनी है। कोशी ने ही बताया कि मुझे कैसे चित्र बनाना चाहिए और उसकी राय पर मैंने अमल किया। यह पुरस्कार मेरा नहीं, उन दोनों का है।
इस साल के कुछ संयोग रहे हैं कि एक साथ, एक ही दिन दो-दो अहम् घटनाएँ होती रही हैं।- मेरा जन्म दिन और अजय को पुरस्कार, हमारी शादी की २५वीन् सालगिरह और तोषी को पुरस्कार और आज उसका लौटना और मुझे पुरस्कार। इस संयोग को नमस्कार और तोषी व कोशी के लिए यह इनाम।
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