फ़िर से बोलोगी झूठ?
बच्चे भी कभी कभी ऐसा कुछ कह जाते हैं कि बस। उनकी मासूम बातें आपका गुस्सा तो काफूर कर ही देता है, aapake मन के तनाव को खत्म भी कर देता है और आपको अपनी जैसी ही सरल मुस्कान से सराबोर भी कर देता है। मेरे देवर अतुल की छोटी बिटिया है- सुमि। बहुत ही छोटी थी, लगभग तीनेक साल की। उसने एक दिन सभी से छुपा कर कुछ खा लिया। पाता चलने पर जब उससे पूछा गया तो किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह उसने भी छुपा कर खाने की बात को खारिज कर दिया। अजय ने उसे डांटा। फ़िर कहा-" फ़िर से बोलोगी झूठ?" उसने भी बड़ी ही दबंगता से कहा- "हाँ." उसकी इस दबंगता से सभी हैरान! अजय ने तनिक गुस्से में कहा- "अच्छा? फ़िर से झूठ बोलोगी? बोलो तो ज़रा?" सुमि ने भी उतने ही जोर से कहा- "झूठ ।" फ़िर क्या था! किसका गुस्सा और कैसा गुस्सा! सभी ठठा कर हंस पड़े। आज भी यह बात हम सभी को बहुत गुदगुदाती है।
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2 comments:
sachmuch bachhon ke bina to ye sansar soonaa sa lagegaa behad manoranjak prasang laga.
यह बहुत बढ़िया रही ।
घुघूती बासूती
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