तोषी टैब बहुत छोटी थी। मैंने नौंन वेज खाना शुरू ही किया था। बनाना आता नहीं था। आज भी बनने के नाम पर कंपकंपी छूट जाती है। तोषी टैब दूसरी या तीसरी क्लास में थी। मैंने उसके लिए चिकन बिरियानी बनी। पहली बार। परोसा। वह खाने लगी। वह खा रही थी और मैं उसे इस उम्मीद में देखे जा रही थी कि अब वह इसके बारे में कुछ बोलेगी। जब काफी देर हो चुकी और उसने दूसरी बार परोसन लेकर भी खाना शुरू कर दिया, लेकिन कुछ कहा नहीं, टैब मुझसे रहा नहीं गया। बड़ी आतुरता और उम्मिओद से भरकर मैंने पूछ, "बेटू, बिरियानी कैसी बनी है?" उसने एक बार बिरियानी को देखा, फ़िर मुझे, फ़िर बिरियानी को और फ़िर से मुझे। इसके बाद बड़ी गंभीरता से बोली- "हाँ, ठीक ही बना है। दो=चार बार और बनाने लगोगी तो अच्छा बनाने लग जाओगी। " आज थोडा थिक-ठाक ही बना लेती हूँबिरियानी, मगर जब कभी कोई प्रसंग आता है, ख़ास तौर से बिरियानी का, तो यह बात याद आती ही है। अब तो और
भी, जब वह लाहौर में है, बहुत अच्छा खाना बनाती है, दीवाली में उसने अपने दोस्तों के लिए ८० लड्डू बनाये तो एक दिन ३० लोगों के लिए दोसा सांभर चटनी बनाई। अभी होली में उसने अपने सभी दोस्तों के साथ न केवल होली खेली, बल्कि ४० लोगों को खाना बनाकर खिलाया। ५ किलो matan बनाया और रस पुए, दही बड़ी और जो सब उसने मुझे होली पर बनते देख हाय, वह सब कुछ। इतना स्वादिष्ट खाना बनाती है कि आप उंगलियाँ चाटते रह जाएं। मैंने तो उसे कह दुसे कह भी दिया कि उसकी शादी में मैं खाना बनाने valii नहीं रखने वाली।
9 comments:
kitanee dayaa aur karuNaa hai aapake man mein . non-veg khaane mein koee dikkat naheen banaane mein kapkapee chhooTatee hai .
-- rangabaz
नॉन वेज इंसानों का आहार नहीं है. मूक निरीह पशुओं को क्रूरता पूर्वक मार-काट कर पेट में डालने वाले करुणा, ममता, संवेदना आदि शब्दों का कोई अर्थ समझते होंगे, हमें बिल्कुल नहीं लगता.
विभा जी। मैं कब आपके हाथ की बनी बिरयानी खाने आ सकता हूं
वैसे आप चिकन-मटन खाते-खाते अगर बोर हो चुकीं हों ............ कहें तो आपके लिए इंसानों के मांस का बंदोबस्त कराऊं? जिसने भी चखा है उसने इंसान के मांस को किसी भी और तरह के मांस से कई गुना ज्यादा लाज्ज़तदार बताया है| सिर्फ़ एक बार चाखेंगी तो आप जिन्दगी भर के लिए Hooked हो जायेंगी
रंगबाज, गोस्ट बस्टर एंड क्विन बड़े घटिया लोग हैं आप। आप को नहीं खाना है तो मत खाइए नॉन वेज लेकिन दूसरे के बारें में आप क्यों टांग फंसा रहे हैं या रही हैं, जो भी आप हैं। वैसे मुझे लग रहा है कि आप लोग इन दोनों के केटेगरी में नहीं आते हैं। बेनामियों के लिए यही सही है
क्यों भाउसाहेब? चलो मानते हैं हमें दूसरो के मामले में टांग अड़ाने का कोई हक नहीं .................... तो महाराजजी , आप भी तो गाय, भैंस, बकरों, भेड़ों, हिरणों, मुर्गे-मुर्गियों, चिडियों, मछलियों वगैरह के जीने के हक में टांग फंसाई कर रहे हो| यार ये बात तो ग़लत हेगी, की तुम्हारे पेट के कब्रस्तान के लिए जानवर और इंसान मरते रहें............ चलो, हम भी नॉन वेज खावेंगे अबसे , पर एक ही शर्त पे ........................ वो क्या हे की आप लोगां अगर तैयार हो तो आप को ही हम सबसे पहले चखेंगे ...................... तो फ़िर कब तैयारी है मेरे पेट के कब्रस्तान के रास्ते सेप्टिक टेंक में दफ़न होने की? हें हें हें
chiraeebuddhi non-veg-premi baalak aasheesh!
baat khaane aur na khaane kee naheen hai . paakhanD/Dhong aur hypocrasy kee hai. maamalaa guD khaane aur gulgulon se parahej karane kaa hai.
सचमुच मजा आ गया . मैं भी कुछ कुछ ऐसा ही करती हूँ. हर नई डिश बनाकर पहले अपने पति को खिलाती हूँ और फिर पूछती हूँ कैसी बनी है जी. अभी होली पर गुंजिया बनाई थी और नारियल के लड्डू मम्मी के घर से आये थे. शादी के बाद पहली होली थी न. सुबह से ही तरुण ने मुझे रंगने का प्लान बना लिया था. लेकिन मैं भी बचती फिर रही थी. लेकिन कब तक बचती. आख़िर पकड़ी गई और फिर जो सिन्दूर के होली खेली, अभी तक सिहरन होती है. असल मैं हमारे यह पे तक बच्चे का मुंडन नही होता रंग की होली नही खेल सकता. हा सिन्दूर से खेल सकता हैं. लड्डू को भी सिन्दूर लगाया और वो इतना प्यारा लग रहा था की क्या बताऊ. सच शादी के बाद का हर पहला त्यौहार यादगार बन जाता है.
सचमुच मजा आ गया . मैं भी कुछ कुछ ऐसा ही करती हूँ. हर नई डिश बनाकर पहले अपने पति को खिलाती हूँ और फिर पूछती हूँ कैसी बनी है जी. अभी होली पर गुंजिया बनाई थी और नारियल के लड्डू मम्मी के घर से आये थे. शादी के बाद पहली होली थी न. सुबह से ही तरुण ने मुझे रंगने का प्लान बना लिया था. लेकिन मैं भी बचती फिर रही थी. लेकिन कब तक बचती. आख़िर पकड़ी गई और फिर जो सिन्दूर के होली खेली, अभी तक सिहरन होती है. असल मैं हमारे यह पे तक बच्चे का मुंडन नही होता रंग की होली नही खेल सकता. हा सिन्दूर से खेल सकता हैं. लड्डू को भी सिन्दूर लगाया और वो इतना प्यारा लग रहा था की क्या बताऊ. सच शादी के बाद का हर पहला त्यौहार यादगार बन जाता है.
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