आज किलकारी उदास है. उषा गांगुली शिशु विहार (शायद यही नाम है दिल्ली युनिवर्सिटी वाले प्ले स्कूल का) में आज उसका दाखिला होना था. पिछली रात अवनि के पापा और मेरे दोस्त शीतल फ़ॉर्म ले आए थे. आज सुबह उसे भरा गया, किलकारी का पासपोर्ट साइज़ का फ़ोटो चिपकाया गया उस पर. फिर किलकारी, चन्द्रा और मैं चले उषा गांगुली ... अंदर जाने पर पता चला आज पहला शनिवार है, पहले शनिवार को छुट्टी होती है. किलकारी को जब यह मालूम हुआ कि आज उसका ऐडमिशन नहीं होगा तो वह बहुत दु:खी हुई. पूछी, 'फिर कब होगा मेरा ऐडमिशन?' किसी तरह उसे बहला-फूसला कर वापस घर ले जाना पड़ा.
आज सवा तीन साल की हो गयी है किलकारी. जब वह डेढ साल की थी तभी से क्रेश जा रही है. अब उसे क्रेश में मज़ा नहीं आ रहा है. पिछले कुछ महीनों में उसकी दोस्ती का दायरा और दोस्तों की संख्या, दोनों में इज़ाफ़ा हुआ है. नए बने दोस्तों में से कई नियमित स्कूल में जाते हैं. अब किलकारी को यह ठीक नहीं लगंता कि उसके दोस्त स्कूल जाएं और वो अपनी कॉलोनी वाले क्रेश में.
पिछले हफ़्ते एक दिन अपने चाचा के साथ सुबह-सुबह क्रेश जाते समय उसने आसमान सर पर उठा लिया. कहने लगी, 'मुझे नव्या दीदी वाले स्कूल में जाना है.' नव्या ठीक एक रोज़ पहले अपने मम्मी-पापा के साथ आयी थी हमारे घर. उस दिन हमलोगों ने नव्या के स्कूल के बारे में पूछताछ की थी. बस, ये बात किलकारी को याद थी और सुबह-सुबह उसने बग़ावत कर दी.
बहरहाल, अब स्कूल में उसका नाम अदीबा सत्या होगा.
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