एक
बिटिया समुद्र होती है
उसे कुछ भी दो वह लौटा देगी
उसे याद करो न करो
वह बार-बार आकर करती है सराबोर
हमारे तटों को
अनगिनत रहस्य अपने में समेटे
बिटिया होती है दो तिहाई भाग
हमारे घर का
दो
बिटिया थक कर लेटती
और घूरती घर की छत
सो जाती छत की सिल्लियों पर बनी
आकृतियों से बतियाते
बिटिया नींद में भी देखती
घर की छत
उसके स्वप्न लौट आते
टकरा कर छत से
जाग जाती चौंक कर
नहीं बदलती करवट
घूरती रहती छत लगातार
घर की छत टिकी
फ़कत बिटिया की नज़रों पर
तीन
एक लड़की विमला चौहान सोच रही
दूसरी लड़की लिली फर्नांडीज़ के बारे में
लिली चिन्तित राधा शर्मा के बारे में
राधा जानती सलमा कुरेशी का दु:ख
सलमा पहचानती मनजीत कौर की व्यथा
शहर के इस छोर पर
यदि आप हिलाएंगे एक लड़की को नींद में
शहर के दूसरे छोर पर
चौंक जाएगी एक और लड़की!
बिटिया होती है दो तिहाई भाग हमारे घर का
मध्य प्रदेश के गुना शहर में बसे निरंजन श्रोत्रिय बेटियों का ब्लॉग देख कर बाग़ बाग़ हो गये। उन्होंने मेल करके बधाई दी और ये कविताएं इस ब्लॉग के लिए भेजीं। बिटिया सीरीज़ की ये कविताएं हमारे समय और समाज की उलझी हुई गुत्थियों के धागे समेट रही हैं।
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3 comments:
बहुत अच्छा
बिटिया समुद्र होती है
उसे कुछ भी दो वह लौटा देगी
wah...
MARVELLOUS
bitiya ke liye jage in ehsason ne sidhe dil ko sparsh kiya. kavi ko hardik shubhkaamnaayen.
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