आइए, बेटियों के बारे में बातें करें
ये ब्लॉग बेटियों के लिए है। हम सब, जो सिर्फ बेटियों के बाप होना चाहते थे, हैं, ये ब्लॉग उनकी तरफ से बेटियों की शरारतें, बातें साझा करने के लिए है। मुश्किल ये होती है कि शुरू कहां से किया जाए। पोलैंड की कवयित्री विस्साव शिंबोर्स्का को जब नोबेल प्राइज़ दिया गया, तो उस समारोह में उनके बयान के पहले वाक्य में ऐसी ही मुश्किल का ज़िक्र था। शिंबोर्स्का ने कहा था, सबसे मुश्किल है पहला वाक्य बोलना (और इस एक वाक्य के साथ उनकी मुश्किल हल हो गयी थी)। लिहाज़ा हमारी मुश्किलें भी सूरज के पार जा चुकी हैं। आइए, हम सब अपनी बेटियों के बारे में बातें करें।
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7 comments:
कुंअर बैंचैन साहब की बेटियों पर एक बहुत प्यारी कविता मुझे याद आ गयी.
बेटियाँ-
शीतल हवाएँ हैं
जो पिता के घर बहुत दिन तक नहीं रहतीं
ये तरल जल की परातें हैं
लाज़ की उज़ली कनातें हैं
है पिता का घर हृदय-जैसा
ये हृदय की स्वच्छ बातें हैं
बेटियाँ-
पवन-ऋचाएँ हैं
बात जो दिल की, कभी खुलकर नहीं कहतीं
हैं चपलता तरल पारे की
और दृढता ध्रुव-सितारे की
कुछ दिनों इस पार हैं लेकिन
नाव हैं ये उस किनारे की
बेटियाँ-
ऐसी घटाएँ हैं
जो छलकती हैं, नदी बनकर नहीं बहतीं
अच्छी शुरुआत है,मै भी एक बेटी का पिता होने के नाते बेटियों के इस ब्लॉग का स्वगत करता हूँ,आशा है बेटीयों की रचना धर्मिता को भी हम अपने इस ब्लॉग में स्थान देंगे,मेरी बेटी पंचमी की तरफ़ से भी, जिसका २५ जनवरी को जन्मदिन था,वो भी अपनी भूमिका इस समाज में तलाश ही कर रही है, स्वागत कर रही है... इस बेटियों के ब्लॉग का.
स्वागत है इस पहल का ।
बहुत अच्छा प्रयास।
बनाओ भाई हमे भी मेम्बर। हम भी बेटियों वाले ही है। बहुत कुछ है दिमाग मे लिखने को।
जल्द ही बेटी के बनायी कुछ ड्राइंग्स भी भेजूंगा। (वैसे मेरे विचार से फ़्लिकर पर एक ग्रुप बना लो, लोग वहीं पर फोटो अपलोड करें और वही से इधर आटोमेटिक तरीके से दिखा दो।)
bahut acchi pahal swagat aapne blog ki dunia ko naya rishta diya padhkar aankhe bhar aaye
bahut hi accha prayaas hai bhai....betiyon ke liye apne mann ke saaree bhavnayen yahan vyakt kar sakte hain sabkee samajh sakte hain... humen bhi isse jodiye plz...betiyan to ek aisa dhan hai jo har kisi ko nahi milta.....
बहुत खूब
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