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मुझे लोहार के घर ब्‍याहना!

प्रसून आम तौर पर गीत लिखते हैं, विज्ञापनों के लिए कैचवर्ड लिखते हैं और मीडिया-सिनेमा पर भाषा की बहसों में हिस्‍सा लेते हैं। एनडीटीवी इमैजिन के धूम मचा दे कार्यक्रम में वो ज्‍यूरी मेंबरानों में से हैं। एक दिन धूम मचा दे के मंच पर उन्‍हें माइक थमा दी गयी। उन्‍होंने एक गीत सुनाया। यह लोगों के लिए प्रसून का पहला स्‍टेज परफॉरमेंस था। गीत में बेटी पिता से कहती है - मुझे राजा के घर मत ब्‍याहना, राज-काज मैं कुछ भी नहीं जानती। मुझे सोनार के घर मत ब्‍याहना, गहने-ज़ेवर मुझे पसंद नहीं। मुझे लोहार के घर ब्‍याहना ताकि वो मेरी ज़ंजीरें काट सके। मुझे मेरी सहयोगी गरिमा ने इस गीत के बारे में बताया और फिर कई साथियों ने कहा कि इसे बेटियों के ब्‍लॉग पर डालो। मैं उन सबका आभारी हूं, जिन्‍होंने प्रसून जोशी के गाये गीत को आप सबसे और अपनी बेटियों से साझा करने के लिए उत्‍साहित किया।

2 comments:

Rajesh Roshan said...

वाह!!
मुझे लोहार के घर ब्‍याहना ताकि वो मेरी ज़ंजीरें काट सके।

प्रसून की एक खास बात है की उनकी पंक्तियों में एक नयापन एक रवानगी है. उनका लिखा हुआ तारे जमीन पर का माँ वाला गाना ....

rakhshanda said...

बहुत खूब ,ज़बरदस्त