अनंत तस्‍वीरें दृश्‍यावलियां ख़बर ब्‍लॉग्‍स

इस बच्‍ची को दुआएं दीजिए

शायदा दैनिक भास्‍कर के चंडीगढ़ संस्‍करण में न्‍यूज़ एडिटर हैं। बेटियों का ब्‍लॉग के लिए मीडिया अवॉर्ड लेने जब मैं चंडीगढ़ गया था, तो उनसे मुलाक़ात हुई। तब रजनीगंधा के साथ उनके रिश्‍ते और बात करने के उनके अंदाज़ ने मुझे बहुत आकर्षित किया था। एक अधूरा बना हुआ ब्‍लॉग भी उन्‍होंने मुझे दिखाया - और जब उसकी पहली पोस्‍ट लोगों ने देखी - तो ये भी देखा कि अख़बार में ख़बरों की बेहिसाब भीड़ और आमफ़हम शब्‍दों के बीच उनके पास संवेदना और भाषा की मुलायमियत कितनी गहराई से मौजूद है। आज उन्‍होंने दो चीजें हमें भेजीं। मोहल्‍ले में भाषा की बहस के बीच अपनी स्‍वीकारोक्ति, और यह ख़बर ख़ास बेट‍ियों के ब्‍लॉग के लिए।
बच्‍ची के रोने की आवाज़ ने प्रार्थना को बीच में ही रोक दिया। सिस्‍टर एलिस ने बाहर आकर देखा, पालने में कोई एक बच्‍ची छोड़ गया था। शनिवार की शाम के अंधरे में इस बच्‍ची को मां की गोद और ममता से बेदख़ली मिली। सिस्‍टर ने बच्‍ची को गोद में उठाया और गले से लगा लिया। प्रार्थना पूरी हो चुकी थी। इस बच्‍ची को दुआएं दीजिए कि उसकी बेदख़ली जल्‍दी से जल्‍दी खत्‍म हो। वो अपने हिस्‍से की लोरियां और गोद पा सके। उसके लिए भी कोई गा सके- मेरे घर आयी एक नन्‍हीं परी!
(नोट : चंडीगढ़ में सेक्‍टर 23 मदर टेरेसा होम के मेनगेट पर एक पालना रखा है। अक्‍सर देर शाम या रात के अंधेरे में वहां लोग ऐसे बच्‍चों को छोड़ जाते हैं जो किसी न किसी तरह उनके लिए अनवांटेड होते हैं। यहां इन बच्‍चों को एडॉप्‍ट किया जाता है।)

1 comment:

Rajesh Roshan said...

उस पालने में एक पर्ची लिखी होनी चाहिए, इस बच्ची को अपनी दुआए दे