दस साल पहले की बात होगी.पटना से मुम्बई आया था.उन दिनों ट्रेन का देरी से पहुँचना स्वाभाविक बात मानी जाती थी.हम भी देर से पहुंचे थे.असल में पटना से ही ट्रेन देर से खुली (बिहार में हमलोगों की ट्रेन हमेशा खुलती थी,अब यह छूटती है) थी.लगभग आठ घंटे देर से.हम विभा को सब कुछ बता रहे थे.यात्रा की इस बातचीत के दरम्यान हमने कहा -लेकिन ट्रेन ने रास्ते में मेकअप कर लिया था.हमारी बातचीत को गौर से सुन रही कोशी से रहा नहीं गया और उसने तपाक से अपनी माँ से पूछा,'क्या ट्रेन भी मेकअप करती है?'
कोशी के उस मासूम सवाल ने तब भी हंसाया था और आज किस्सा चलने पर वह ख़ुद भी हंसती है और हम सभी खुशी और हँसी से सराबोर हो जाते हैं.
2 comments:
बहुत ख़ूब. रोज़ ही आजकल ऐसी हाजिरजवाबी से सामना हो रहा है. पिछले कुछ दिनों से काफी सोच कर बोलना पड़ता है. बड़ा आनंद आता है ऐसे अनुभव से गुज़रते हुए.
यह भी खूब रही
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