जानवरों ने सभा बुलाई
चलो करेंगे पिकनिक भाई
हल्ला गुल्ला शोर करेंगे
आएंगे दीदी,चाचा ताई
सभी जानवर मस्त हो गए
पिकनिक की तैयारी में
बन्दर सूट पहन कर आया
और बंदरिया साड़ी में
हाथी आये, भालू आये
अपने साथ वे आलू लाये
आलू छोटे और बडे थे
शेर हिरन भी वहाँ खडे थे
बड़े जोर की भूख लगी थी
पर जंगल में आग नहीं थी
हाथी भालू सब चकराए
लकड़ी अब कैसे सुलगाएं
बिना आग के खाना कैसे
बिना खेत के दाना कैसे
फिर सब ने एक जुगत लगाई
गांव से लाओ दियासलाई
गांव भला अब जाये कौन
फंसने का खतरा उठाये कौन
गांव के आदमी बड़े दुष्ट हैं
जानवरों से बड़े रुष्ट हैं
इतने में आया खरगोश
छोटा था, पर बड़ा था जोश
बोला, गांव मैं जाऊंगा
और आग भी लाऊंगा
आई आग और उबले आलू
छक कर खाए बगुला भालू
पिकनिक में सब नाचे गाये
जंगल में खुशहाली लाये
जंगल में पिकनिक
यह तुकबंदी मैंने तोषी के लिए की थी। उस समय वह दूसरी कक्षा में थी और उसे कोई कविता स्कूल में सुनानी थी। मुझे भी आश्चर्य होता है कि मैंने उसके बाद या पहले कोई तुकबंदी कैसे नहीं की।
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3 comments:
बहुत खूब।तोषी पूरी याद कर सकी?
जी,न केवल उसने याद किया और सुना कर लौटी...उस ने भी एक तुकबंदी की थी.उसकी तुकबंदी खोज रहा हूं,मिलते ही ब्लॉग पर डालूंगा.
bahut badhiya,kai dino baad bhalu kharjosh ko padha,bachpan yaad aaya,toshi baby ki tukbandi padhne ke liye utsuk hai hum.
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